जहाँ देखो वहाँ मील जायेगी परछाइयाँ अपनी
बहुत मशहूर हैं इस शेहर में रुस्वाइयाँ अपनी
तुम्हारी तुम ही जानो एहले-दाना, ऐ खिरद वालो
हमे तो रास आती हैं सदा नादानियाँ अपनी
दिले-नाशाद तेरा क्या करे आबाद होकर भी
हमेशा याद रहती हैं तुझे बरबादियाँ अपनी
बलन्दी की हकीक़त का मज़ा हरगिज़ न पाओगे
अगर देखी नहीं हैं आपने नाकामियाँ अपनी
हीसारे-दीद से बचना बहुत दुशवार था लेकिन
खुदा का शुक्र हे महफूज़ हैं खामोशियाँ अपनी
न जाने कब मुकम्मल देख पायेगे वजूदे-ज़ात
कहीं हम हे, कहीं पैकर, कहीं परछाइयाँ अपनी
सरापा सुरते-गुलशन सभी से पेश आयेगी
नुमायाँ हो नहीं सकती कभी वीरानियाँ अपनी
सुनेगा और कोई किस तरह फरमाईये 'असलम'
कि जब तुम ही नहीं सुन पा रहे सरगोशियाँ अपनी
-असलम मीर
बहुत मशहूर हैं इस शेहर में रुस्वाइयाँ अपनी
तुम्हारी तुम ही जानो एहले-दाना, ऐ खिरद वालो
हमे तो रास आती हैं सदा नादानियाँ अपनी
दिले-नाशाद तेरा क्या करे आबाद होकर भी
हमेशा याद रहती हैं तुझे बरबादियाँ अपनी
बलन्दी की हकीक़त का मज़ा हरगिज़ न पाओगे
अगर देखी नहीं हैं आपने नाकामियाँ अपनी
हीसारे-दीद से बचना बहुत दुशवार था लेकिन
खुदा का शुक्र हे महफूज़ हैं खामोशियाँ अपनी
न जाने कब मुकम्मल देख पायेगे वजूदे-ज़ात
कहीं हम हे, कहीं पैकर, कहीं परछाइयाँ अपनी
सरापा सुरते-गुलशन सभी से पेश आयेगी
नुमायाँ हो नहीं सकती कभी वीरानियाँ अपनी
सुनेगा और कोई किस तरह फरमाईये 'असलम'
कि जब तुम ही नहीं सुन पा रहे सरगोशियाँ अपनी
-असलम मीर
waaaaaaaaah bhot khub aslm bhai waaaaaaaaah
ReplyDeleteग़ज़ल बहुत खूब बाँधी है दोस्त पर वही है कुछ शब्दों के मतलब आपने नीचे लिख दिए होते तो पढने वालों को आसानी होती | लाजवाब आशार और बेहतरीन पेशकश | आदाब
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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